डॉ. मनमोहन सिंह: भारत के महान अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री का निधन
भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया है। डॉ. मनमोहन सिंह, जो देश के 13वें प्रधानमंत्री रहे और भारत के आर्थिक सुधारों के प्रमुख वास्तुकार माने जाते हैं, अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका निधन न केवल भारत के लिए, बल्कि विश्व के लिए भी एक बड़ी क्षति है।

डॉ. मनमोहन सिंह का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भारत और ब्रिटेन में हुई। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। डॉ. सिंह की विद्वता और कड़ी मेहनत ने उन्हें भारत और विश्व स्तर पर एक सम्मानित अर्थशास्त्री बनाया।

आर्थिक सुधारों के जनक
1991 का वह समय जब भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब डॉ. मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। उन्होंने उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण (LPG) के माध्यम से भारत की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी। उनके सुधारों ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया और देश को आर्थिक स्थिरता प्रदान की।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवा दी। उनकी नेतृत्व क्षमता और शांति के प्रति उनके दृष्टिकोण ने भारत को प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ाया। उन्होंने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) और खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी योजनाओं को लागू किया, जो गरीब वर्गों के लिए जीवन में सुधार लाने के उद्देश्य से बनाई गई थीं।
एक विनम्र और निष्ठावान नेता
डॉ. सिंह की सादगी और ईमानदारी ने उन्हें राजनीति में अन्य नेताओं से अलग बनाया। वे विवादों से दूर रहते थे और हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में सादगी और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण प्रस्तुत किया।
भारत के लिए एक बड़ी क्षति
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन न केवल एक व्यक्ति का अंत है, बल्कि एक युग का अंत है। उनके विचार, नीतियां और उनकी सेवा भारत के इतिहास में अमिट रहेंगी। आज, जब देश उनके योगदान को याद कर रहा है, हमें उनके विचारों और कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन हमें यह सिखाता है कि ज्ञान, विनम्रता, और कड़ी मेहनत से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। भारत हमेशा उनके योगदान के लिए कृतज्ञ रहेगा।
श्रद्धांजलि!
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