new india co operative Bank घोटाला: 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी और RBI की कार्रवाई
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक बार फिर एक बड़ा घोटाला सामने आया है। मुंबई स्थित new india co operative Bank में 122 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आया है। यह घटना न केवल बैंक के ग्राहकों के लिए चिंता का विषय बनी है, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की निगरानी प्रणाली पर भी सवाल खड़े कर रही है।

घोटाले की शुरुआत
new india co operative Bank के महाप्रबंधक और लेखा प्रमुख हितेश मेहता पर आरोप है कि उन्होंने बैंक की प्रभादेवी और गोरेगांव शाखाओं से 122 करोड़ रुपये का गबन किया। यह घोटाला 2020 से 2025 के बीच हुआ है, और मेहता ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए यह कार्य किया है।
RBI की कार्रवाई
new india co operative Bank घोटाले के बाद RBI ने बैंक पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। बैंक को नए लोन देने, नई जमा राशि स्वीकार करने और ग्राहकों को धन निकालने से रोक दिया गया है। साथ ही, RBI ने बैंक के बोर्ड को एक साल के लिए भंग कर दिया है और एक प्रशासक नियुक्त किया है ताकि बैंक के संचालन को स्थिर किया जा सके।
ग्राहकों की चिंता
new india co operative Bank घोटाले का सबसे बड़ा असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ा है। बैंक की 28 शाखाओं में से अधिकांश मुंबई में हैं, और यह बैंक छोटे व्यापारियों और मध्यम वर्ग के परिवारों के लिए महत्वपूर्ण था। RBI के प्रतिबंधों के बाद ग्राहकों को अपनी जमा राशि निकालने में दिक्कतें आ रही हैं, जिससे उनमें चिंता और असंतोष फैल गया है।
जांच और गिरफ्तारी
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने हितेश मेहता को गिरफ्तार कर लिया है। मेहता ने अपने अपराध को कबूल किया है और बताया है कि उन्होंने कोविड काल से ही बैंक के फंड्स का दुरुपयोग शुरू कर दिया था। उन्होंने यह पैसा एक रियल एस्टेट डेवलपर धर्मेश पौन को दिया था, जो कंदिवली में एक स्लम रिहैबिलिटेशन प्रोजेक्ट में लगा हुआ था।
RBI की निगरानी पर सवाल
new india co operative Bank घोटाला RBI की निगरानी प्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। बैंक के वित्तीय रिकॉर्ड्स में पहले से ही कई अनियमितताएं थीं, लेकिन RBI ने इन्हें नजरअंदाज किया। यह सवाल उठ रहा है कि क्या RBI के अधिकारियों ने जानबूझकर इन अनियमितताओं को नजरअंदाज किया या यह उनकी लापरवाही का परिणाम है।
निष्कर्ष
new india co operative Bank बैंक का यह घोटाला न केवल बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह सहकारी बैंकों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करता है। RBI और सरकार को इस मामले में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है ताकि ग्राहकों का विश्वास बैंकिंग प्रणाली में बना रहे। साथ ही, इस घोटाले से सबक लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए।
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि वित्तीय पारदर्शिता और जवाबदेही बैंकिंग क्षेत्र के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। उम्मीद है कि इस घोटाले से सबक लेकर भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा।
यह ब्लॉग न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के बारे में जानकारी प्रदान करता है और इसके प्रभावों पर चर्चा करता है। अधिक जानकारी के लिए आप संबंधित स्रोतों का उल्लेख कर सकते हैं।
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